जो बजाता जैसी बींद का सुरताल है मनरूपी नाग करता है,वैसा नाच है। जो बजाता जैसी बींद का सुरताल है मनरूपी नाग करता है,वैसा नाच है।
एक दिन उसे खेलते समय मिला जादुई चिराग..... जो बहुत था गंदा। एक दिन उसे खेलते समय मिला जादुई चिराग..... जो बहुत था गंदा।
ये तन और मन तेरा प्यासा नित प्रीत फुहार धार माँगे। ये तन और मन तेरा प्यासा नित प्रीत फुहार धार माँगे।
आओ शब्दों के खेत में, ख़ामोशी को बोए, तितलियों के पंखों को, सपनों की जादुई छडी़ से, सहलाएँ.....। आओ शब्दों के खेत में, ख़ामोशी को बोए, तितलियों के पंखों को, सपनों की जादुई छडी...
बिन कहे उससे, खुद से मैं क्या कह गई आग सी लौ उठी दिल में और बुझ गई बेसुध हो गई मैं चुप रह गई।। बिन कहे उससे, खुद से मैं क्या कह गई आग सी लौ उठी दिल में और बुझ गई बेसुध हो गई...
सदियों तक झिलमिलाता रहेगा वसुधा के वक्ष पर अमर अजर सा। सदियों तक झिलमिलाता रहेगा वसुधा के वक्ष पर अमर अजर सा।